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सिंध थरपारकर में होली: रंगों🎨, एकता और खुशियों🪁✨ का उत्सव

  • March 21, 2025
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होली, रंगों का त्योहार, थरपारकर के मithi नगर में बड़े हर्षोल्लास और उमंग के साथ मनाया जाता है। अपने आपसी सौहार्द्र और सांस्कृतिक एकता के लिए प्रसिद्ध मithi

सिंध थरपारकर में होली: रंगों🎨, एकता और खुशियों🪁✨ का उत्सव

होली, रंगों का त्योहार, थरपारकर के मithi नगर में बड़े हर्षोल्लास और उमंग के साथ मनाया जाता है। अपने आपसी सौहार्द्र और सांस्कृतिक एकता के लिए प्रसिद्ध मithi की होली सिर्फ एक हिंदू त्योहार नहीं है, बल्कि यह प्रेम, भाईचारे और सांस्कृतिक सौंदर्य का उत्सव बन चुकी है। यहां की गलियां चटख रंगों, पारंपरिक गीतों और उत्सव की रौनक से भर जाती हैं, जो धार्मिक और सामाजिक सीमाओं से ऊपर उठकर लोगों को एकजुट करती हैं।

इस वर्ष होली 13 और 14 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। यह त्योहार हिंदू पंचांग के फाल्गुन माह की पूर्णिमा को आता है, जो बसंत ऋतु के आगमन और अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है।

होली की पौराणिक कथा

होली का संबंध भक्त प्रह्लाद और होलिका की कहानी से जुड़ा है। मान्यता के अनुसार, राक्षसराज हिरण्यकश्यप चाहता था कि लोग उसे भगवान मानें, पर उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद ली, जिसके पास अग्नि से बचाने वाला चमत्कारी वस्त्र था। होलिका ने प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने की कोशिश की, लेकिन आग ने होलिका को भस्म कर दिया और प्रह्लाद बच गया। यह घटना हर वर्ष होलिका दहन के रूप में मनाई जाती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

मithi में रंगों की होली

होली की शुरुआत होलिका दहन से होती है, जिसमें परिवारजन मिलकर पूजा करते हैं और भजन-कीर्तन गाते हैं। जैसे ही अगली सुबह होती है, रंगों की होली शुरू होती है। लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं, पारंपरिक गीतों पर नाचते हैं और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं। श्रीकृष्ण मंदिर और हनुमान मंदिर जैसे स्थान भक्ति और सामूहिक आनंद के केंद्र बन जाते हैं।

होली की तैयारियां

होली की तैयारियां कई हफ्ते पहले शुरू हो जाती हैं। घरों की सफाई और सजावट होती है, बाजारों में चहल-पहल बढ़ जाती है। लोग रंग, मिठाइयां और नए कपड़े खरीदते हैं। मालपुआ, ठंडाई और गुजराती मिठाइयों जैसे विशेष व्यंजन त्योहार का स्वाद बढ़ाते हैं। लोकगीतों और भजनों की गूंज माहौल को और भी खास बना देती है, और सांस्कृतिक कार्यक्रम थर और राजस्थान की परंपराओं को जीवंत करते हैं।

धार्मिक सौहार्द्र: प्रेम और एकता की मिसाल

mithi की होली की सबसे खास बात यह है कि मुस्लिम समुदाय भी इस पर्व में भाग लेता है। एक-दूसरे को शुभकामनाएं दी जाती हैं, सभी खुशी में समान रूप से शामिल होते हैं, और यह रंगों का त्योहार सभी के दिलों में प्रेम भर देता है। यह सौहार्द्र इस समुदाय के सांस्कृतिक बंधन का प्रमाण है और यह दर्शाता है कि त्योहार लोगों को करीब लाने के लिए होते हैं, न कि उन्हें अलग करने के लिए।

इसी कारण mithi में न सिर्फ होली, बल्कि ईद, क्रिसमस और दिवाली जैसे अन्य त्योहार भी प्रेम और भाईचारे के साथ मनाए जाते हैं। यहां के वातावरण में एक विशेष आध्यात्मिक सुंदरता है, जहां सभी एक-दूसरे के धार्मिक विश्वासों का सम्मान करते हैं और एक-दूसरे की खुशियों में समान रूप से भाग लेते हैं।

mithi की यह परंपरा साबित करती है कि त्योहार केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ने, प्रेम बांटने और सौहार्द्र बढ़ाने का माध्यम हैं। जब रंग हवा में उड़ते हैं, तो वे यह सशक्त संदेश देते हैं:
“चाहे हम रंग, लिंग या धर्म में अलग हों, हमारी संस्कृति, भाषा और परंपराएं हमें एक सूत्र में बांधती हैं — और यही एकता हमें एक राष्ट्र बनाती है।”

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