सुरखानी, बाकू का आतेशगाह: एक कालातीत अग्नि मंदिर 🔥🏛️
- March 21, 2025
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बाकू का आतेशगाह, जिसे सुरखानी का अग्नि मंदिर भी कहा जाता है, अज़रबैजान के सबसे रोचक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों में से एक है। बाकू के सुरखानी ज़िले
बाकू का आतेशगाह, जिसे सुरखानी का अग्नि मंदिर भी कहा जाता है, अज़रबैजान के सबसे रोचक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों में से एक है। बाकू के सुरखानी ज़िले
बाकू का आतेशगाह, जिसे सुरखानी का अग्नि मंदिर भी कहा जाता है, अज़रबैजान के सबसे रोचक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों में से एक है। बाकू के सुरखानी ज़िले में स्थित यह मंदिर अपनी “शाश्वत ज्वालाओं” और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। ‘आतेशगाह’ शब्द फ़ारसी में “अग्नि का घर” (Home of Fire) का अर्थ रखता है। यह मंदिर सदियों से हिंदू, सिख और ज़रथुस्त्र धर्म के अनुयायियों के लिए उपासना का केंद्र रहा है, जो इसे आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है।
इतिहास और उत्पत्ति
आतेशगाह का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है, जब ज़रथुस्त्र धर्म के अनुयायी अग्नि को पवित्र तत्व मानकर उसकी पूजा करते थे। बाकू का अबशेरोन क्षेत्र प्राकृतिक गैस से भरपूर है, और यहाँ सदियों से ज़मीन के भीतर से अपने आप अग्नि निकलती थी। यह “सदैव जलती ज्वाला” इसे स्वाभाविक रूप से पूज्य स्थल बना देती थी।
17वीं और 18वीं शताब्दी में, यह मंदिर भारत से आए हिंदू और सिख व्यापारियों और तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बन गया। विशेष रूप से वे लोग जो शिव और ज्वाला देवी की परंपराओं को मानते थे, वे यहाँ आते थे। मंदिर की दीवारों पर संस्कृत, पंजाबी और फ़ारसी में की गई शिलालेख इसकी बहुसांस्कृतिक पहचान को दर्शाते हैं।
आर्किटेक्चरल चमत्कार
आतेशगाह का ढांचा पंचकोणीय है, जिसके बीच में अग्नि वेदी स्थित है और उसके चारों ओर छोटे-छोटे कमरे बने हैं, जो कभी तपस्वी साधुओं और तीर्थयात्रियों के लिए आश्रयस्थल हुआ करते थे। मंदिर की मुख्य वेदी एक प्राकृतिक गैस वेंट पर बनाई गई थी, जिससे अग्नि निरंतर जलती रहती थी। इसकी वास्तुकला में फ़ारसी, मुग़ल और अज़रबैजानी शैलियों का मिश्रण देखा जा सकता है, जो विभिन्न संस्कृतियों और धार्मिक परंपराओं के संगम को दर्शाता है।
अग्नि का रहस्य
कभी भूमिगत गैस से स्वाभाविक रूप से जलने वाली यह अग्नि 19वीं सदी के अंत में गैस के अत्यधिक दोहन के कारण बुझ गई। आज यह ज्वाला कृत्रिम रूप से प्रज्वलित की जाती है ताकि स्थल की ऐतिहासिक महत्ता और धार्मिक वातावरण को जीवित रखा जा सके।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
आतेशगाह विभिन्न धर्मों के लिए पूजनीय रहा है:
वर्तमान स्थिति और पर्यटन
अब यह स्थल एक संग्रहालय और यूनेस्को द्वारा संरक्षित विश्व धरोहर स्थल घोषित किया जा चुका है। पर्यटक यहां प्राचीन शिलालेखों, कलाकृतियों और पूर्व में तपस्वियों द्वारा उपयोग किए गए कक्षों को देख सकते हैं। यह स्थल धार्मिक सहिष्णुता और आध्यात्मिक इतिहास का जीवंत प्रमाण है।
निष्कर्ष
सुरखानी का आतेशगाह धार्मिक सहिष्णुता, सांस्कृतिक समन्वय और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक है। भले ही यहां की मूल अग्नि अब न जलती हो, इसकी आध्यात्मिक आभा आज भी संसार भर के आगंतुकों को आकर्षित करती है। यह स्थान मानव की ईश्वर की खोज, प्रकृति के रहस्यों और श्रद्धा की अनंत शक्ति की गवाही देता है।
आतेशगाह की यात्रा केवल इतिहास की खोज नहीं, बल्कि श्रद्धा और भक्ति की उस शाश्वत अग्नि को नमन है। 🔥
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