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श्रीनाथजी मंदिर, बहरीन🇧🇭: खाड़ी में एक आध्यात्मिक तीर्थस्थल

  • May 18, 2025
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मनामा, बहरीन – खाड़ी के हृदय में स्थित श्रीनाथजी मंदिर, बहरीन में भक्ति, सांस्कृतिक विरासत और धर्मों के बीच सौहार्द का एक जीवंत प्रतीक है। यह इस क्षेत्र

श्रीनाथजी मंदिर, बहरीन🇧🇭: खाड़ी में एक आध्यात्मिक तीर्थस्थल

मनामा, बहरीन – खाड़ी के हृदय में स्थित श्रीनाथजी मंदिर, बहरीन में भक्ति, सांस्कृतिक विरासत और धर्मों के बीच सौहार्द का एक जीवंत प्रतीक है। यह इस क्षेत्र के सबसे पुराने हिंदू मंदिरों में से एक है और बहरीन में बसे भारतीय प्रवासी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र है।

एक ऐतिहासिक धरोहर

श्रीनाथजी मंदिर का निर्माण 1817 में सिंध (अब पाकिस्तान) से आए थत्ताई हिंदू समुदाय द्वारा किया गया था, जो 19वीं सदी की शुरुआत में व्यापार के लिए बहरीन आए थे। यह मंदिर श्रीनाथजी (भगवान श्रीकृष्ण के एक रूप) को समर्पित है और दशकों से खाड़ी में बसे हिंदुओं के लिए एक धार्मिक व सांस्कृतिक आधार स्तंभ रहा है।

यह मंदिर मनामा के व्यस्त बाज़ार (Souq) क्षेत्र में स्थित है। यद्यपि इसका आकार छोटा है, यह एक अत्यंत पूजनीय स्थल है जहाँ प्रतिदिन पूजा-अर्चना होती है और जन्माष्टमी, दीपावली, होली जैसे प्रमुख हिंदू त्योहार पूरे उत्साह से मनाए जाते हैं।

पुनर्निर्माण और पुनरुद्धार

2019 में भारत सरकार और बहरीन हिंदू मंदिर समिति ने मिलकर इस मंदिर के जीर्णोद्धार और विस्तार का एक बड़ा प्रोजेक्ट शुरू किया। इस पहल को बहरीन सरकार ने सहर्ष स्वीकार किया और इसे धार्मिक सहिष्णुता एवं आपसी सम्मान का प्रतीक माना गया।

अगस्त 2019 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहरीन यात्रा के दौरान उन्होंने मनामा के जुफैयर क्षेत्र में एक नए मंदिर परिसर की आधारशिला रखी। यह नया मंदिर परिसर 4,500 वर्ग मीटर में फैला होगा, जिसमें प्रार्थना कक्ष, सामुदायिक केंद्र, शैक्षिक सुविधाएं और पुजारियों व श्रद्धालुओं के लिए आवास की व्यवस्था होगी।

सौहार्द का प्रतीक

श्रीनाथजी मंदिर केवल पूजा का स्थल नहीं है, बल्कि यह बहरीन की समावेशी भावना का भी प्रतीक है। बहरीन की सरकार ने हमेशा हिंदू समुदाय को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता प्रदान की है। यह मंदिर बहरीन के सामाजिक और राजनीतिक ताने-बाने में धार्मिक सहिष्णुता और सह-अस्तित्व के सिद्धांत को दर्शाता है।

भारत और बहरीन के बीच सांस्कृतिक पुल

यह मंदिर भारत और बहरीन के बीच एक सांस्कृतिक सेतु के रूप में भी कार्य करता है। यह न केवल भारतीय नागरिकों और भारतीय मूल के लोगों के लिए, बल्कि दुनिया भर से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है। यह श्रीकृष्ण की शिक्षाओं की सार्वभौमिकता को दर्शाता है।

निष्कर्ष

बहरीन में स्थित श्रीनाथजी मंदिर न केवल एक प्राचीन धार्मिक स्थल है, बल्कि यह समुदाय की अटूट आस्था, मेज़बान राष्ट्र की उदारता और शांति तथा सह-अस्तित्व जैसे साझा मूल्यों का प्रतीक भी है। जैसे-जैसे यह मंदिर आगे बढ़ता है और विकसित होता है, यह खाड़ी क्षेत्र के केंद्र में इतिहास, सद्भाव और भक्ति का एक जीवंत स्मारक बनकर खड़ा है।

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